बीजेपी, आरजेडी, कांग्रेस सबका BP हाई: बिहार की 11 सीटें जहां बागी और निर्दलीय कर सकते हैं 'खेला'

बीजेपी, आरजेडी, कांग्रेस सबका BP हाई: बिहार की 11 सीटें जहां बागी और निर्दलीय कर सकते हैं 'खेला'

स्थानीय छवि, जातीय समीकरण और सोशल मीडिया के सहारे निर्दलीय उम्मीदवारों ने NDA और महागठबंधन की उड़ाई नींद  



मधेपुरा में यादव-मुसहर-महादलित वोटों का बंटवारा तय



पटना, [तारीख: 26 अक्टूबर, 2025]:

बिहार विधानसभा चुनाव में जैसे-जैसे मतदान की तारीखें नज़दीक आ रही हैं, चुनावी समीकरण उतने ही उलझते जा रहे हैं। एक ओर एनडीए और महागठबंधन ने अपने उम्मीदवारों की पूरी फौज उतार दी है, वहीं दूसरी ओर कई सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने दोनों गठबंधनों की नींद उड़ा दी है। टिकट बंटवारे से उपजा असंतोष अब स्थानीय स्तर पर व्यक्ति की छवि को पार्टी के सिंबल से बड़ा बना चुका है। सोशल मीडिया के माध्यम से निर्दलीय भी बड़े पैमाने पर प्रचार कर रहे हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार के चुनाव में करीब 30 से अधिक सीटों पर बागी और निर्दलीय उम्मीदवार मुख्य दलों का खेल बिगाड़ने की भूमिका में हैं। अगर बहुमत का गणित फंसा, तो यही निर्दलीय किंगमेकर भी बन सकते हैं।



प्रमुख बागी और निर्दलीय उम्मीदवारों से प्रभावित 11 हाई-वोल्टेज सीटें:

क्षेत्रनिर्दलीय/बागी उम्मीदवारमुख्य दल पर प्रभावप्रमुख फैक्टर
मधेपुराप्रणव प्रकाश और अजय रंजनआरजेडी और जेडीयूप्रणव (शिक्षा), अजय (शरद यादव गुट), यादव-मुसहर-महादलित वोटों का बंटवारा।
मुजफ्फरपुरशंभू पटेल (बीजेपी बागी) और डॉ. अमरेश चौधरी (कांग्रेस बागी)एनडीए और आरजेडी/कांग्रेसपटेल (निषाद, कुर्मी वोट), चौधरी (शिक्षा, स्वास्थ्य से लोकप्रियता), दोनों गठबंधनों के वोट बैंक में सेंध।
वैशालीविजय मंडलआरजेडी/कांग्रेस गठबंधनपप्पू यादव गुट का समर्थन, यादव और अतिपिछड़ा वोट बैंक पर पकड़।
नवादारवि सिंह (जेडीयू बागी)एनडीएटिकट कटने के बाद बागी, हिसुआ, कोइलवर, वारसलीगंज इलाकों में प्रभाव।
जहानाबादमनोज यादव (आरजेडी बागी)आरजेडीदो बार ब्लॉक अध्यक्ष रहे, यादव समाज में गहरी पकड़, आरजेडी के लिए बड़ा नुकसान।
औरंगाबादकर्नल सुशील कुमार सिंह (रिटायर्ड)बीजेपी'साफ छवि और राष्ट्रवाद' के मुद्दे, युवा वोटरों का समर्थन, बीजेपी की राह मुश्किल।
सासारामचंद्रभूषण तिवारी (जेडीयू बागी)बीजेपीपूर्व जेडीयू महासचिव, स्थानीय व्यापारिक वर्ग में पैठ, बीजेपी का वोट बैंक खिसकने का डर।
बक्सरसंदीप सिंहबीजेपीपूर्व एबीवीपी छात्र नेता, 'युवा रोजगार और शिक्षा' के मुद्दे, सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग, भाजपा के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध की संभावना।
कटिहाररहीम खानमहागठबंधन (आरजेडी)पूर्व एआईएमआईएम से जुड़ाव, मुस्लिम और यादव वोटों में सीधी सेंधमारी।
सीवानसतीश सिंहबीजेपी और आरजेडीपूर्व सांसद ओमप्रकाश यादव के समर्थक, भूमिहार समुदाय में गहरी पैठ, दोनों को नुकसान की संभावना।
पटना सिटीराजकुमार गुप्ताबीजेपीव्यापारी संघ के अध्यक्ष, जीएसटी और छोटे व्यापारियों के मुद्दे, बीजेपी के लिए सीट अब उतनी आसान नहीं।

निष्कर्ष:

बिहार चुनाव से पहले लगभग सभी प्रमुख दलों (बीजेपी, आरजेडी, जेडीयू, कांग्रेस) में टिकट बंटवारे को लेकर असंतोष चरम पर है। कई जगहों पर यह तय है कि इन बागियों के कारण मुख्य उम्मीदवारों का चुनावी गणित बिगड़ सकता है।

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